BA Semester-2 - Economics-Macro Economics - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर समूह
लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2714
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

अध्याय - 15
ब्याज का आधुनिक सिद्धान्त (IS-LM व्याख्या)
Modern Theory of Interest (IS-LM Analysis )

ब्याज के आधुनिक सिद्धान्त के प्रतिपादन का श्रेय मुख्य रुप से हिक्स तथा लर्नर को दिया जाता है। ब्याज के इस सिद्धान्त में ब्याज के अनेक सिद्धान्तों को समन्वित करके एक परिष्कृत सिद्धान्त प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। ब्याज के अन्य सिद्धान्तों के अध्ययन से यह पता चलता है कि कुछ सिद्धान्त माँग पक्ष की ओर ध्यान देते हैं तथा कुछ सिद्धान्त पूर्ति पक्ष की ओर। इसी प्रकार कुछ सिद्धान्त मौद्रिक तत्वों तथा कुछ सिद्धान्त अमौद्रिक तत्वों का विश्लेषण करते हैं। जब इस प्रकार की जटिल परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं तब सभी सिद्धान्तों का समन्वय करने के पश्चात् किसी एक सिद्धान्त का निरूपण कार्य अत्यन्त कठिन हो जाता है। आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार निम्नलिखित तत्वों का विवेचन किया जाता है -

1. इस सिद्धान्त के अन्तर्गत ब्याज की दर का निर्धारण उस बिन्दु पर होगा जहाँ पर बचत विनियोग रेखा का मिलाप मुद्रा की माँग तथा पूर्ति रेखा से होता है।

2. विनियोग बचत रेखा प्राप्त करने हेतु आय तथा ब्याज के उन सभी संयोगों का पता लगाना आवश्यक है जहाँ पर बचत तथा विनियोग की राशियाँ समान हैं। बचत विनियोग रेखा वह रेखा होगी जो बचत विनियोग साम्य के सभी बिन्दुओं को लेने पर प्राप्त होती है।

3. मुद्रा की पूर्ति रेखा प्राप्त करने हेतु आय तथा ब्याज के उन सभी संयोगों का पता लगाना आवश्यक है जहाँ पर मुद्रा की माँग उनकी पूर्ति के समान हो। .

महत्वपूर्ण तथ्य

  • ब्याज के आधुनिक सिद्धान्त के प्रतिपादन का श्रेय मुख्य रूप से हिक्स तथा लर्नर को दिया जाता है।
  • ब्याज के आधुनिक सिद्धान्त में आधुनिक सिद्धान्त का तरलता अधिमान - सिद्धान्त के साथ समन्वय करने के लिए बचत, निवेश, तरलता एवं मुद्रा की पूर्ति आदि सभी स्तरों पर समाकलन किया जाता है।
  • IS एक ऐसा वक्र है जो कि वास्तविक तत्वों अर्थात् प्रवाह चरों के सन्तुलन (बचत-निवेश) को व्यक्त करता है तथा दूसरा वक्र LM है जो मौद्रिक क्षेत्र अर्थात् स्टॉक चरों के सन्तुलन को व्यक्त करता है।
  • बचत निवेश वक्र - बचत अनुसूचियों तथा निवेश अनुसूचियों के परस्पर सम्बन्ध की व्याख्या करता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि यह वक्र आय स्तरों तथा निवेश ब्याज दरों विभिन्न स्तरों पर बचत तथा निवेश की समानता को व्यक्त करता है।-,
  • बचतें आय का धनात्मक फलन होती हैं अर्थात् आय में वृद्धि होने पर बचत में वृद्धि एवं कमी होने पर कमी होती है।
  • ब्याज निरपेक्ष वक्र - IS वक्र ब्याज - निरपेक्ष भी हो सकता है अर्थात् एक बिन्दु के बाद ब्याज गिरने पर उसका निवेश पर न के बराबर प्रभाव पड़ता है।
  • LM वक्र या तरलता अधिमान एवं मुद्रा पूर्ति वक्र - यह वक्र मौद्रिक क्षेत्र के सन्तुलन को व्यक्त करता है अर्थात् इस पर स्थित प्रत्येक बिन्दु पर मुद्रा की माँग एवं पूर्ति सन्तुलन में होती है। इसमें ब्याज निरपेक्ष अर्थात् मुद्रा की पूर्ति को स्थिर माना गया है जिससे कि इसका विश्लेषण सरल हो सके।
  • IS तथा LM वक्र आय स्तर एवं ब्याज की दर के सम्बन्ध में व्यक्त करते हैं वे स्वतः ब्याज की दर एवं आय स्तर की व्याख्या करने में अक्षम होते हैं। जहाँ ये दोनों वक्र एक-दूसरे को काटते हैं ब्याज की दर का निर्धारण उसी बिन्दु पर होता है।
  • IS तथा LM वक्रों में परिवर्तन - जब इन दोनों वक्रों में परिवर्तन होता है, तब सन्तुलन स्थिति में भी परिवर्तन हो जाता है और ब्याज दर का निर्धारण नये सन्तुलन के अनुरूप होता है।
  • सुस्ती की शक्तियों को दूर करने में मौद्रिक नीति की प्रभावशीलता LM वक्र और IS वक्र की आकृति या ढलान पर निर्भर करती है।
  • राजकोषीय नीति की सापेक्ष प्रभाविता LM वक्र और IS वक्र की आकृति या ढलान पर निर्भर करती है। यदि LM वक्र अधिक चपटा है, तो राजकोषीय नीति अधिक प्रभावी होती है।
  • LM वक्र आय के स्तरों और ब्याज दरों के संयोगों को व्यक्त करता है जहाँ मुद्रा की माँग (L) और मुद्रा की पूर्ति (M) एक समान होते हैं तथा मुद्रा बाजार में सन्तुलन होता है।

...पीछे | आगे....

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macro Economics)
  2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 राष्ट्रीय आय एवं सम्बन्धित समाहार (National Income and Related Aggregates)
  5. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 राष्ट्रीय आय लेखांकन एवं कुछ आधारभूत अवधारणाएँ (National Income Accounting and Some Basic Concepts)
  8. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 राष्ट्रीय आय मापन की विधियाँ (Methods of National Income Measurement)
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income)
  14. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 हरित लेखांकन (Green Accounting)
  17. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त (The Classical Theory of Employment)
  20. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 कीन्स का रोजगार सिद्धान्त (Keynesian Theory of Employment)
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 उपभोग फलन (Consumption Function)
  26. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 विनियोग गुणक (Investment Multiplier)
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 निवेश एवं निवेश फलन(Investment and Investment Function)
  32. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 बचत तथा निवेश साम्य (Saving and Investment Equilibrium)
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 त्वरक सिद्धान्त (Principle of Accelerator)
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 ब्याज का प्रतिष्ठित, नव-प्रतिष्ठित एवं कीन्सीयन सिद्धान्त (Classical, Neo-classical and Keynesian Theories of Interest)
  41. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  42. उत्तरमाला
  43. अध्याय - 15 ब्याज का आधुनिक सिद्धान्त (IS-LM व्याख्या) Modern Theory of Interest (IS-LM Analysis )
  44. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  45. उत्तरमाला
  46. अध्याय - 16 मुद्रास्फीति की अवधारणा एवं सिद्धान्त (Concept and Theory of Inflation)
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 17 फिलिप वक्र (Philips Curve)
  50. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  51. उत्तरमाला

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book